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लेखनी प्रतियोगिता -31-May-2022

जिस खाने में हजारों कमियां निकाली थी,

आज लौटकर उसी के लिए आंहे भरते हैं।


काम पर दिनभर इधर से उधर भटकते हैं,

लेकिन लोगों की नज़र में हम ऐश करते हैं।


प्राइवेट नौकरी के लिए वो घर भी छोड़ दिया,

जहां ख्वाबों में ही अब दुखसुख सांझा करते हैं।


मातापिता के आसरे में ही असली जिंदगी थी।

अब तो बस सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करते हैं।

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5 Comments

Reyaan

01-Jun-2022 11:29 AM

Nice 👌

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Punam verma

01-Jun-2022 09:19 AM

Nice

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Sona shayari

01-Jun-2022 07:05 AM

Lajawaab sir

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